Kya aapne kabhi apne desh ke baare mein ek zabardast kavita sun kar garv mehsoos kiya hai? Desh bhakti shayari is jazba ko badi khoobsurti se bayaan karti hai, jismein balidaan, veerta, aur maa-bhumi ke liye pyaar jaise ehsaas jude hote hain.
Is article mein hum aise patriotic expressions ki ahmiyat ko samjhenge aur kaise yeh hamare mil-jule jazbaat se juda hota hai, yeh explore karenge. Tayyar ho jaiye inspiration se bharne ke liye, kyunki hum kuch mashhoor udaharan share karenge aur apni khud ki dil se likhi shayari banane ke kuch tips bhi denge taake aap apni jadon ko ek naya andaaz de sakein.
Desh Bhakti Shayari
No 1:
लहू मेरे जिगर का कुछ काम तो आया
शहीदों में सही लवों पर नाम तो आया।
जाँ से प्यार वतन इस की शान के खातिर
जब मर तो इस दिल को आराम तो आया।।
No 2:

बलिदानों की ज्वाला जलाए रखना,
लहराता तिरंगा यूं ही उठाये रखना
जान जाए तो जाये कोई गम नहीं
देश पर कुर्बानियों का मातम न कर
मौत के बाद भी खुद को मुस्कराए रखना।
No 3:
न झुकने देना कभी इसके मान को,
न मिटने देना कभी इसकी शान को।
चाहे कुर्बान करनी पड़े जान को।।
अपने सीने से इसको लगाए रखना
ये तिरंगा यूं ही उठाये रखना।
No 4:
इन रंगों में बलिदानों का रंग तुम्हे मिल जायेगा,
ओढ़ तिरंगा निकलोगे तो अहसास तुम्हे हो जाएगा।
कितनो ने इसके खातिर खुद को सूली चढ़ा दिया,
इतिहास के पन्नो में पढने को मिल जायेगा ।।
No 5:
काश मरने के बाद भी वतन के काम आता
शहीदों के दुनिया में अपना भी नाम आता
हंस के लुटा देते जान इस वतन के लिए
कोई फिक्र नहीं होती गर ऐसा मुकाम आता।।
No 6:
अब है तुम्हारा फर्ज इसे आगे लेकर जाना है,
इस झंडे को दुश्मन की छाती पर फहराना है।।
राज तिलक और भगत गुरु ने लहू से अपने सींचा है,
तब जाके हरा-भरा अपना आज बगीचा है ।।
No 7:
इसकी शान निराली है
इसकी पहचान निराली है
इसपर जाँ जो मिट जाए
ऐसी जाँ फिर किस्मत वाली है।।
No 8:
झुकने न देंगे तेरे स्वाभिमान को
चाहे दावं पर लगानी पड़े जान को
हम मिट गए तो कुछ गम नहीं
मिटने न देंगे तेरी पहचान को ।।
No 9:
मर मिटेंगे हम अपने वतन के लिए ,
जान कुर्बान है प्यारे चमन के लिए
हमसे हमारी अब हसरत न पूछो
बाँध रखा सर पे तिरंगा कफ़न के लिए ।।
No 10:

है जान जब तक मेरे सीने में हमारी ,
वतन की शान को न मिटने देंगे।
हम वीर सपूत हैं हम बलिदानी हैं
अपने इस चमन को लहू से सीच देंगे ।
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No 13:
इन रगो में बहता लहू है बस वतन परस्ती की
है सीने में जलती ज्वाला इसके हस्ती की
कोई लहर उसे क्या बहा लियेगी गह्ररी धारा में
हम जैसे पतवार रहें जिस भी कस्ती की ।।
No 14:
चाहे जान की बाजी लगा देंगे हम
दुश्मनों को वतन से मिटा देंगे हम
है कसम इस तिरंगे की वतन के लिए
ये तिरंगा उनके सीने पर लहरा देंगे हम।
No 15:
कतरा-कतरा मेरे लहू का
इस वतन के काम आएगा
मेरे जाने के बाद भी तिरंगा
हिमालय पर ऐसे मुस्कराएगा।
No 16:
मिट कर भी दिल में है वतन की उल्फत
मौत भी हमसे पहले हमारी रजा मांगती है
इसके रखवाले हम जैसे शेर-ए-जिगर हैं
हर माँ हमारी सलामती की दुआ मांगती हैं।
No 17:
वतन परस्ती का जूनून अब सर पर छा गया है
दुश्मनों को मिटाने को उबाल लहू में आ गया है
सर पर कफ़न तिरंगा बाँधा है इस वतन के लिए
मिट जाना है इस प्यारे से जानेमन के लिए ।।
No 18:
इस बार हिमालय की चोटी से
जाके इसको लहराना है,
इसके खातिर जाँ भी दे देंगे
ये हम सबने ठाना है।
No 19:
सौ जन्मो तक उनके अहसानों को भुला नहीं सकते।
हम सर कटा सकते हैं लेकिन झुका नहीं सकते
खींच दी हैं लकीरें जो अपने जिगर के लहू से
तुम लाख कोशिस करलो इसे मिटा नहीं सकते।
No 20:
जो सीने में जली है बुझने वाली नहीं है
आग दुश्मनों के लिए है रुकने वाली नहीं है
जान भी कुर्बान कर देंगे इस वतन के लिए
शान अब वतन की अब झुकने वाली नहीं है ।।
No 22:
जो लहू है जिगर में बह जाने दो
वतन की धरा को सींच जायेंगे हम
रहेगा खिला जब चमन ये हमारा
देखकर इसकी शान मुस्कुराएंगे हम।
No 23:
अंगारा जल पड़ा है अब सीने में
दुश्मनों के छक्के छुड़ा जायेंगे
इस गर्म लहू के धधकती आग में
उनके सारे अरमान मुरझा जायेंगे ।।
No 24:
हर बरस शहीदों की चिताओं की लौ जलेगी
ये वो आग है जो दुश्मन की जान भी लेलेगी
इसके जद में तुम आने भूल मत करना
मिट जाओगे टकराने की भूल मत करना।
No 25:

हम फौलादी जिगर वाले हैं
वतन पर खुद को लुटा देंगे
हमसे यूं न टकराना कभी
हस्ती तुम्हारी सब मिटा देंगे ।।
No 26:
हम बलिदानों के आदी है,
उस हिन्द के फौलाद हैं।
जिस माटी में थे जन्मे भगत सिंह,
हम उस माटी के औलाद हैं ।।
No 27:
सींच दू खून से अगर इस चमन के काम आए
काश मेरा लहू भी मेरे वतन के काम आए
न जाने कौनसी घडी आख़री हो हमारी,
ये तन मन धन फिर वतन के कामाआए ।
No 28:
बलिदानों के खातिर हमने खुद को पाला है
यही तमन्ना गूँज रही है जबसे होश संभाला है
है वतन हमारा दिल में बसता इसकी शान निराली है
आंच नं कोई क्या आयेगी जब हम जैसा रखवाला है ।
No 29:
है बसंती चमन, इसका नीला गगन
इसकी छटा भी निराली है
हम हैं पहरेदार इसी के
करनी हमें रखवाली है ।।
No 30:
हिमालय से उंचा रहे सर इसका हमने दिल में ठाना है
रंग दो बसंती चोला मेरा हमको सरहद पर जाना है ।
कोई नजर न इसकी और उठे ऐसे पहरेदारी हो
दुश्मन की छाती पर तिरंगा फिर से लहराना है ।।
No 31:
जान कुरबां वो जायेगी इस वतन के लिए
रगों में लहू फिर भी रहेगा चमन के लिए ।
मुझे डर नहीं वतन पर मिटने जाने से
हमने तिरंगा चुना है कफ़न के लिए ।।
No 32:
जाँ से प्यार वतन है हमारा
हम तो इसके पहरेदार रहेंगे
सौ जनम भी लुटा दें इसके लिए
तब भी हम इसके कर्जदार रहेंगे।
No 33:
इस देश की मिट्टी के कर्जदार है हम
जान को लुटाने के हकदार है हम
हमसे हमारी हसरत न पूछे कोई
मिट कर भी निभाएंगे वफादार है हम।
No 34:
मेरे लहू का कतरा-कतार इस चमन से मिले
इसकी शान हो ऊँची और उस गगन से मिले
मेरे लाखो जनम इसके अहसानो पर कम हैं
मौत आये तो सुकून तिरंगा कफ़न से मिले ।।
No 35:
मेरा लहू काफी है इस चमन के लिए
हम जाँ भी लुटा दें वतन के लिए
दिल अगर रखते है दोतों के लिए
तो खंजर भी रखते है दुश्मन के लिए ।।
No 36:
सुगंध इस मिट्टी फिजा में बिखर रही है
ये जमी इस वतन को नमन कर रही है
हम इसके खुसबू से सुगन्धित हो रहे हैं
हिन्दुस्तान की सरजमी को चमन कर रही है।।
No 37:
हम पहरेदार है इसके हम इसके रखवाले है
प्यारे वतन के खातिर हम जाँ भी लुटाने वाले हैं
इसकी हमको हर एक बात निराली लगती है
सौ जीवन कुर्बान हैं इसपर हम ऐसे मतवाले हैं।
Conclusion
Desh bhakti shayari sirf shabdon ka khel nahi hai, balki yeh ek dil se nikli hui bhavna hoti hai jo poore desh ke jazbaat ko choo jaati hai. Har ek sher un logon ki struggles, balidaan, aur sapno ko bayaan karta hai jinhone apni zindagi maa-bhumi ke naam kar di. .
Jo जोश भर देने वाली देशभक्ति शायरी hoti hai, woh sirf inspire nahi karti, balki desh ke prati ekta ka sandesh bhi deti hai. देश भक्ति शायरी 2024 jaise naye daur ki shayari, har culture, har background ke logon ko ek jhande ke neeche laane ka kaam karti hai.
Jab waqt mushkil hota hai, ya desh kisi chunauti ka samna kar raha hota hai, tab yeh दिल को छू जाने वाली देशभक्ति शायरी ek nayi umeed aur himmat deti hai. देश भक्ति शायरी गजल ke roop mein yeh kavitaayein hum sabko ek nayi soch aur ek majboot bhavishya ki taraf le jaati hain.