Even the theme of duties at home may become a subject of very touching poetry. Ghar ki jimmedari shayari is a poem that embodies the beauty of words and the family responsibilities and relations. This paper shall delve into heartfelt shayari that can be related to by anyone struggling with the burden of the home.
You may be an obsessive parent, a loving spouse, or just a person interested in insightful poetry as you will find how these words can reflect on your experiences.
Jimmedari Shayari 2 Line Hindi

No 1:
खुद को खुश रखना ये आपकी
एक बहुत बड़ी
No 2:
जिम्मेदारियों से अब बदन टूटने सा लगा है,
क्यूँ न ख्वाहिशों की अंगड़ाई ली जाए….
No 3:
जिम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए हैं,
सालों तक त्योहार माँ ने एक ही साड़ी में मनाए हैं…
No 4:
क्या बेचकर हम खरेदें तुझे ऐं ज़िन्दगी,
सब कुछ तो गिरवी पड़ा है जिम्मेदारी के बाज़ार में
No 5:
छोटी उम्र में भी अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं,
ज़िम्मेदारियाँ हों सर पे तो बच्चे बड़े हो जाते हैं।
No 6:
इक उम्र ख्वाहिशों के लिए भी नसीब हो,
ये वाली तो बस…. जिम्मेदारियों में ही गुज़र गई….
No 7:
जिम्मेदारियों ने ख्वाहिशों के कान में ना जाने क्या फुसफुसाया,
कि ख्वाहिशें, झुर्रियां और जिम्मेदारियां जवाँ हो गयी….
No 8:
ज़िन्दगी ने बहुत कौशीशें की मुझे रुलाने की,
मगर डमरूवाले ने जिम्मेदारी उठा रखी है मुझे हँसाने की….
No 9:
जिम्मेदारियों का बोझ पीठ पर पसीना दे जाएगा,
दिल तुम्हारा कभी मचलेगा जब बारिश में भीगने को….
No 10:
ज़रूरतें, जिम्मेदारियां, ख़्वाहिशें..
यूँ ही तीन हिस्सों में दिन गुज़र जाता है….
मजबूरी घर की जिम्मेदारी शायरी
No 1:
ये जो जिम्मेदारियां हैं ना बड़ी बद्तमीज़ हैं,
ख़्वाहिशों को कैसे समझौतों में बदल देती हैं….
No 2:
कंधा झुका हुआ है मेरा, लेकिन उम्र बड़ी नहीं है..
आज समझ में आया, जिम्मेदारी से बड़ा कोई बोझ नहीं है….
No 3:
एक मल युद्ध चल रहा है मन मस्तिष्क में मेरे,
जिम्मेदारी ने धोबिपछाड़ दी है इच्छाओं को मेरे
No 4:
काम होता तो कब का ख़त्म हो चुका होता,
ये जिम्मेदारी ही है, जो बढ़ती ही जा रही है….
No 5:
दिल कहता है मर जाऊँ तेरी जुदाई में,
पर जिम्मेदारियों ने मेरे हाथ जकड़ रखे हैं….
No 6:
समंदर से ख़ामोश रहकर उठाता हूँ जिम्मेदारी,
वरना शहर डुबोने का सलीका तो हम भी जानते हैं….
No 7:
चिथड़े चिथड़े होकर रह गई सारी ख़्वाहिशें,
जिम्मेदारियों की ज़ोर आज़माईश के चलते….
No 8:
जश्न ए रोज़गार अभी ख़त्म भी नहीं हुआ था,
वज़्न-ए-जिम्मेदारी ने कंधा पकड़ लिया….
No 9:
मोहब्बत करने वाले हज़ार मिल जायेंगे,
मानेंगे तब जब आप जिम्मेदारी निभाएंगे।
No 10:
जिम्मेदारी बढ़ने तो दो जनाब,
ख़्वाहिशें खुद बा खुद खुदकुशी कर लेंगी….
घर की जिम्मेदारी पर शायरी

No 1:
जबसे जिम्मेदारियों को मैंने अपना माना है,
मेरे कुछ शौक़ मुझे क़ातिल समझ कर बैठे हैं
No 2:
कसे रहती हैं जेबों को रोज़ नई ज़िम्मेदारियाँ उनकी,
मुमकिन नहीं कि उस पिता की कोई ख़्वाहिशें न हो….
No 3:
ताउम्र लगे रहे जिम्मेदारी निभाने को,
बस अपना ख़्वाब ही पूरा न कर सके….
No 4:
पकड़ लो हाथ मेरा.. हर तरफ भीड़ बहुत सारी है,
मैं खो ना जाऊँ कहीं.. ये जिम्मेदारी तुम्हारी है….
No 5:
न जाने क्यूँ बंध जाते हैं ज़िम्मेदारियों के बीच,
कभी अपनी ख़ुशियों के बारे में जब सोचना चाहते हैं हम….
No 6:
जिम्मेदारी चेहरे की रंगत बदल देती है,
शौक़ से तो कोई शख़्श बुझा बुझा नहीं रहता….
No 7:
कुछ जिम्मेदारी कुछ सपनों ने जल्दी जगा दिया,
आज तो थोड़ी देर तक सोने का इरादा था मेरा….
No 8:
जिम्मेदारियां के आगे कई बार सपने हार जाते है।
No 9:
खुद को खुश रखना ये आपकी एक बहुत बड़ी
No 10:
एक मल युद्ध चल रहा है मन मस्तिष्क में मेरे, जिम्मेदारी ने धोबिपछाड़ दी है इच्छाओं को मेरे
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Ghar ki Jimmedari Shayari
No 1:
बहाने बनाना बद करो दो जिम्मेदारी लेना शुरू करो।
No 2:
ये जो जिम्मेदारियां हैं ना बड़ी बद्तमीज़ हैं, ख़्वाहिशों को कैसे समझौतों में बदल देती हैं….
No 3:
ज़रूरतें, जिम्मेदारियां, ख़्वाहिशें.. यूँ ही तीन हिस्सों में दिन गुज़र जाता है….
No 4:
इक उम्र ख्वाहिशों के लिए भी नसीब हो, ये वाली तो बस…. जिम्मेदारियों में ही गुज़र गई….
No 5:
जिम्मेदारियों का बोझ पीठ पर पसीना दे जाएगा,
दिल तुम्हारा कभी मचलेगा जब बारिश में भीगने को….
No 6:
अपनी जिम्मेदारियां से भागने वाला,
व्यक्ति कभी श्रेस्ठ, नहीं बन सकता।
No 7:
क्या बेचकर हम खरेदें तुझे ऐं ज़िन्दगी, सब कुछ तो गिरवी पड़ा है जिम्मेदारी के बाज़ार में
No 8:
सुबह-सुबह मैं जग नहीं पाता हूँ,
जिम्मेदारियों से भग नहीं पाता हूँ. !!
No 9:
बोझ से भी ज्यादा भारी है,
ये कैसी अजीब जिम्मेदारी है.
No 10:
नहीं समझते वो माता-पिता, के प्रति अपनी जिम्मेदारी,
पर उनकी दौलत में चाहिए, सभी को बराबर की हिस्सेदारी.
Jimmedari Quotes in Hindi

No 1:
क्या खूब मज़बूरी हे गले में लगे पेड़ो को
हरा भी रहना है और बढ़ना भी हे.. !!
No 2:
छोटी भी है बड़ी भी है
ऐसी हज़ारो जिम्मेदारियां है
इसलिए तो हमें सिर्फ चाय से यारी है,
No 3:
अलार्म की जरूरत नहीं अब सुबह उठ जाता हूँ,
क्योंकि आजकल घर की जिम्मेदारियां उठाता हूँ.
No 4:
दुनिया वालो ने बहुत कोशिश की, हमें रुलाने की
मगर उपर वाले ने जिम्मेदारी उठा रखी है, हमें हँसा ने के लिए…..
No 5:
क्या बेचकर खरीदे फुरसत तुजसे
ए जिंदगी, सब कुछ तो गिरवी पड़ा है।
No 6:
जिम्मेदारियां के आगे कई बार
सपने हार जाते है।
No 7:
अजीज दोस्तों को धीरे-धीरे भुलाने लगा हूँ,
क्योंकि अब घर की जिम्मेदारी उठाने लगा हूँ.!!
No 8:
उदा देती है नींदे कुछ जिम्मेदारियां घर की
रात में जगने वाला हर कोई शख्स, आशिक नहीं होता।
No 9:
हमें अपने आप को नहीं अपनी
जिम्मेदारियों को गंभीरता, से लेना चाहिए।
No 10:
रैक आपको विशेषाधिकार या, शक्ति नहीं देती
ये आपके ऊपर जिम्मेदारी डालती है !!
Conclusion
Ghar ki jimmedari shayari is a wonderful example of the spirit of the family responsibilities and emotional ties. These lines put in mind of the love, sacrifices, and duties that characterize our homes. The poetry enables us to understand better the roles we play in our families, and this brings out the good things as well as the bad.
